...कैसी उलझन है, क्यों ये उलझन हैएक साया सा रूबरू क्या है......जिंदगी जैसे खोई खोई है, हैरां हैरां हैये ज़मीं चूप है, आसमां चूप हैफिर ये धड़कन सी चार सू क्या है...ऐ दिल-ए-नादान, ऐसी राहों में कितने काँटे हैंआरजूओं ने हर किसी दिल को दर्द बाँटे हैंकितने घायल हैं, कितने बिस्मिल हैंऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादानआरज़ू क्या है, जुस्तजू क्या है...With Most respected courtesy to: Jan Nisar AkhtarMusic beautifully set by 'Khayyam' for Razia Sultana
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कैसी उलझन है, क्यों ये उलझन है
एक साया सा रूबरू क्या है...
...जिंदगी जैसे खोई खोई है, हैरां हैरां है
ये ज़मीं चूप है, आसमां चूप है
फिर ये धड़कन सी चार सू क्या है
...ऐ दिल-ए-नादान, ऐसी राहों में कितने काँटे हैं
आरजूओं ने हर किसी दिल को दर्द बाँटे हैं
कितने घायल हैं, कितने बिस्मिल हैं
ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है, जुस्तजू क्या है...
With Most respected courtesy to: Jan Nisar Akhtar
Music beautifully set by 'Khayyam' for Razia Sultana
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